दुःख के बादल क्यों नहीं छटते ,
बारिश बनकर आंसू बहते ,
शोक नदी में मेरा मन लहराए,
अमूल्य जीवन यू ही डूबा जाये,
सुख का सूरज क्यों है लाचार,
क्यों मूक देखता अत्याचार,
कष्ट पहाड़ हम पर ही ढहते,
हितकारी इश्वर अब क्या कहते,
दुःख के बादल क्यों नहीं छटते ,
बारिश बनकर आंसू बहते |
आशा पक्षी बनकर उड़ गयी,
धैर्य की भी दुर्गति हो गयी,
सहन शीलता अब मरने को है,
जीवन पुष्प अब झड़ने को है,
आत्म चीखे अति कष्ट आह ते,
माया के जाल अब कटते फटते,
दुःख के बादल क्यों नहीं छटते ,
बारिश बनकर आंसू बहते |
काल भाल हर काल खड़ा है,
मन मंदिर पीड़ा में पड़ा है,
अब तो इश्वर तेरा सहारा,
मृत्यु लोक में जीवन हारा,
मोछ चाह में अब नहीं थकते,
नाम राम का रटते रटते ,
दुःख के बादल क्यों नहीं छटते ,
बारिश बनकर आंसू बहते |
- अतुल कुमार वर्मा
Dukh Ke Badal | Hindi Poem
Reviewed by Atul Kumar Verma
on
जनवरी 27, 2011
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