Aakhir Kiski Mujhe Talash | Hindi Poem

Aakhir Kiski Mujhe Talash | Hindi Poem | Atul's Blog | My Digital Diary



कितना कुछ है मेरे पास,

फिर काहे की मन में प्यास |

आँखों को है किसकी आस,

आखिर किसकी मुझे तलाश |


शांत समर क्यों उठती लहरे,

एक क्षण भी ये न ठहरे |

मुझे हँसाते कितने चेहरे,

भरने मन के घाव गहरे |


अब नही रही वैसी बेसुधता,

जागी भावो में चंचलता |

हर कोई इसमें हरित रस भरता,

फिर भी मन छाई पतझरता |


देखूं जब कब स्वप्न अधूरे,

जानू न होने है पूरे |

अपनों ने मिटाई सारी पीरे,

फिर भी डूबू धीरे धीरे |


अँधियारा ये कैसा धुंधला,

रोज जलाऊँ अपना पुतला |

जिस मन से जीवन था उजला,

उस कोमल को किसने कुचला |


पाकर भी खुशियाँ न पास,

मन है आखिर किसका दास |

आँखों को है किसकी आस,

आखिर किसकी मुझे तलाश |


- अतुल कुमार वर्मा[13-10-09]




Aakhir Kiski Mujhe Talash | Hindi Poem Aakhir Kiski Mujhe Talash | Hindi Poem Reviewed by Atul Kumar Verma on मई 16, 2011 Rating: 5

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