बस जीने भर को थोड़ी सी सांसे दे दे ,
जी भर के जी ले इतनी आसे दे दे |
जिंदगी भर तो हम गुमनाम रहे,
कितने गम कितनी पीड़ा कितने कष्ट सहे |
जिंदगी को सलाम देकर हम तो चले,
देने वाले कभी तो मुझसे मांग ले |
जिंदगी भर संजोया सब खो गया है,
जीते जीते इसे इससे प्यार हो गया है |
जाना है अब यह से तो क्यों रो दे,
जाते जाते नयी एक जिंदगी बो दे |
बस जीने भर को थोड़ी सी सांसे दे दे ,
जी भर के जी ले इतनी आसे दे दे |
- अतुल कुमार वर्मा
Bas Jeene Bhar Ko | Hindi Poem
Reviewed by Atul Kumar Verma
on
मई 16, 2011
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