Mat-Pita (मात-पिता) | Hindi Poem

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मात पिता को ठुकराकर,

सुख चला ढूढने ये संसार |

उनकी महिमा क्यों न समझे,

जिनसे बसता है घर द्वार |


उसे भुलाना क्यों हम चाहे ,

जो है सकल विश्व आधार |

उसे रुलाना क्यों हम चाहे,

जो सहते हैं कष्ट अपार |


उनकी ही जीवन ज्योति से,

प्रकाशित तेरा कल और आज |

उनकी ही मेहनत के बल से,

बची हुई है तेरी लाज |


कुछ तो ऐसा कर दिखला, 

हो मात पिता को तुझ पर नाज |

लज्जा का अनुभव हो उनको, 

ऐसा तू न करना काज |


मात पिता की सेवा करके,

कृपा दृष्टि तू पायेगा |

तेरी सत्ता अमर रहेगी,

जन्म सफल हो जायेगा |
                                                    - अतुल कुमार वर्मा [11-10-09]

Mat-Pita (मात-पिता) | Hindi Poem Mat-Pita (मात-पिता) | Hindi Poem Reviewed by Atul Kumar Verma on मई 16, 2011 Rating: 5

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