जिंदगी ये तेरी बस तेरी नही,
कोई तुझसे जुड़ा है शायद तुझे खबर नही.
मुस्काए जो मन तेरा तो बेवजह वो हस दे,
जिंदगी सवारने को तेरी जीवन समर्पित कर दे.
स्नेहल हाथ सदा तेरे सर पे फिराए,
चाहे आसमा की ऊचाइयां तू छू जाये.
मौन भाव में सबकुछ तुझे बताये,
काँटों की राह में साथ सदा निभाए.
स्वार्थ नही स्नेह भाव ने उसको बांधा,
तुझसे ही सरस है ये जीवन सादा,
ये प्राण आधा तेरा मेरा आधा.
तेरी चिंता मुझको इश्वर से ज्यादा.
अस्तित्व में तेरे अस्तित्व अपना जाने वो,
तू क्या चाहे बिन बोले पहचाने वो.
जितना अपना है वो सब देने की ठाने वो,
डरना मत तेरे हर शत्रु को जाने वो.
हज़ार गुना प्यार दे जितना तुझे रब दे,
अपने दर्द की फ़िक्र नही वो घाव तेरे भर दे.
मुस्काए जो मन तेरा तो बेवजह वो हस दे,
जिंदगी सवारने को तेरी जीवन समर्पित कर दे.
- अतुल कुमार वर्मा
Samarpan (समर्पण) | Hindi Poem
Reviewed by Atul Kumar Verma
on
मई 03, 2011
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