Ab Kaun Pariksha Lega Meri | Veer Ras | Hindi Poem

Ab Kaun Pareeksha Lega Meri | Hindi Kavita Poem Veer Ras


अब कौन परीक्षा लेगा मेरी,

क्या वो जिससे है कटुता मेरी,


या शायद वो जिससे सब मांगूं,

या वो जिससे हैं खुशियाँ मेरी |


न जानो यह कमजोर प्राण हैं,

ज्वलित हृदय यह तार तार है,


दृढ़ निश्चय है मेरे मन का,

आग छुपी भोलेपन की आड़ है |


बरसेगी ये संकल्पों की बदरी,

हृदय पिपासा अब कितनी गहरी,


बदलने को ये जीवन अपना,

अब पलटूगां तूफानों की गगरी |


जला सभी चंचल तस्वीरे,

तोड़कर ये निर्बल जंजीरे |


निकल जाऊंगा महायज्ञ पर,

बदलने अपनी हस्त लकीरे |


छटी अज्ञान की निशा घनेरी,

अब जाग उठी है आत्मा मेरी,


वो चार कदम पर मंजिल मेरी,

अब कौन परीक्षा लेगा मेरी | 


- अतुल कुमार वर्मा[1-10-09]

Ab Kaun Pariksha Lega Meri | Veer Ras | Hindi Poem Ab Kaun Pariksha Lega Meri | Veer Ras | Hindi Poem Reviewed by Atul Kumar Verma on जून 25, 2011 Rating: 5

कोई टिप्पणी नहीं:

Blogger द्वारा संचालित.