Apne (अपने) | Hindi Poem

Apne to apne hote hain Hindi Poem Kavita


जो भीड़ में न खोते हैं,

दुःख दर्द पड़े संग रोते हैं |

दुनियां में भले वो होते हैं,

दिल प्यार के सपने संजोते हैं |

अपने तो अपने होते हैं |


किन गैरों ने लाचार किया,

भूले से कभी न प्यार किया |

क्यों दिल को तार तार किया,

वो प्यार के ढाई आखर को |

क्यों अपने दिलों से धोते हैं,

अपने तो अपने होते हैं |


सब स्वार्थ से हैं जुड़े हुए,

दिल उनके सिकुड़े मुड़े हुए |

जो भोग विलास में पड़े हुए,

वो अपनी किस्मत पर रोते हैं |

अपने तो अपने होते हैं |


जो संग हो के भी पराया लगे,

चंचल हो मुख से सताया लगे |

जो सेवा भाव न रखता हो,

सब स्वार्थ जिसमे बसता हो |

मन राम बगल खंजर होते हैं,

अपने तो अपने होते हैं |


- अतुल कुमार वर्मा


Apne (अपने) | Hindi Poem Apne (अपने) | Hindi Poem Reviewed by Atul Kumar Verma on जून 25, 2011 Rating: 5

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