जो भीड़ में न खोते हैं,
दुःख दर्द पड़े संग रोते हैं |
दुनियां में भले वो होते हैं,
दिल प्यार के सपने संजोते हैं |
अपने तो अपने होते हैं |
किन गैरों ने लाचार किया,
भूले से कभी न प्यार किया |
क्यों दिल को तार तार किया,
वो प्यार के ढाई आखर को |
क्यों अपने दिलों से धोते हैं,
अपने तो अपने होते हैं |
सब स्वार्थ से हैं जुड़े हुए,
दिल उनके सिकुड़े मुड़े हुए |
जो भोग विलास में पड़े हुए,
वो अपनी किस्मत पर रोते हैं |
अपने तो अपने होते हैं |
जो संग हो के भी पराया लगे,
चंचल हो मुख से सताया लगे |
जो सेवा भाव न रखता हो,
सब स्वार्थ जिसमे बसता हो |
मन राम बगल खंजर होते हैं,
अपने तो अपने होते हैं |
- अतुल कुमार वर्मा
Apne (अपने) | Hindi Poem
Reviewed by Atul Kumar Verma
on
जून 25, 2011
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