Hans Chugega Dana Tinka Kauwa Moti Khayega | Hindi Poem

Hans Chugega Dana Tinka Kauwa moti khayega Hindi Poem


रामचंद्र कह गए सिया से, ऐसा कलयुग आएगा,

हंस चुगेगा दाना तिनका, कौवा मोती खायेगा |


आज के लोग हैं बड़े निराले,

वर्दी सफ़ेद पर धंधे काले |


घूसखोरी का बोल बाला,

पर तिजोरियों में जड़ा है ताला |


झगड़े लफड़े रोज होते, शांति दिवस कब आयेगा,

हंस चुगेगा दाना तिनका, कौवा मोती खायेगा |


गिर रही हैं मिसाईले, फट रहे हैं बम,

रोक सको तो रोक लो, किसमे इतना दम |


भ्रष्टाचार रोकने की तुम, ताकत रखना सीखो,

न्याय नही मिल पायेगा, चाहे जितना चीखो |


सच्चाई को कौन पूछता, हर अन्याय पथ पर जायेगा,

हंस चुगेगा दाना तिनका, कौवा मोती खायेगा |


नेता नगरी बड़ी ही काली,

शक्ल से दिखती भोली भाली |

झूठ बोलकर वोट लूटे, जनता के सब सपने टूटे |

महगाई बढती ही जाती, आखिर बजट सरकार बनाती |

खुद हराम का पैसा खाती, लोगो को भूखा मरवाती |


हर देश प्रगति कर रहा है, अपना देश पिछड़ जायेगा |

हंस चुगेगा दाना तिनका, कौवा मोती खायेगा |


इस दुनिया की चालाकी देखो,

किसी से कुछ मतलब न रखो |


वर्ना निर्दोष फंस जाओगे,

सारा जीवन पछताओगे |


सबके भगवन रामचंद्र का कहना सच हो जायेगा,

हंस चुगेगा दाना तिनका, कौवा मोती खायेगा |


- अतुल कुमार वर्मा

Hans Chugega Dana Tinka Kauwa Moti Khayega | Hindi Poem Hans Chugega Dana Tinka Kauwa Moti Khayega | Hindi Poem Reviewed by Atul Kumar Verma on जून 25, 2011 Rating: 5

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