Tumne Kaha, Aur Maine Saha | Hindi Poem

Tumne Kaha, Aur Maine Saha - Hindi Poem Kavita



तुमने कहा और मैंने सहा |


सदा हमेशा और सनातन |


दिन रज कण कण और छन छन ||


तुमने कहा ये सरल मार्ग है |

मैंने कहा मैं कठिन चुनुगा ||


तुमने कहा कांटे है उसमे |

मैंने कहा मैं डटकर सहूंगा ||


तुमने कहा ये लो...सुख है रख लो |

मैंने कहा संघर्ष तो चख लूं ||


तुमने कहा तू विवेकहीन है |

मैंने कहा मैं मन मौजी हूँ ||


तुमने कहा अनुचित ये सपना |

मैंने कहा बस यही था अपना ||


तुमने कहा आशाएं तोड़ी |

मैंने कहा हाँ..कमियां थोड़ी ||


तुमने कहा सीमायें लांघी |

मैंने कहा बंधन तो खोलो ||


तुमने कहा तेरे कुल में अँधेरा |

मैंने कहा मैं कुल दीपक हूँ ||


तुमने कहा कितना तुमने पाया |

मैंने कहा और कितना खोया ||


तुमने कहा मैंने क्या पाया |

मैंने कहा सब तेरा ही है ||


तुमने कहा मेरा छन छन तेरा |

मैंने कहा कहा मेरा कण कण तेरा ||


तुमने कहा मैंने सुख त्यागा |

मैंने कहा भिक्षुक क्या त्यागे ||


तुमने कहा मैं निष्पापी हूँ |

मैंने कहा भगवन भी पापी ||


तुमने कहा तेरे भाव नीच हैं |

मैंने कहा काहे की खीझ है ||


तुमने कहा पीरे दी मुझको |

मैंने कहा मरहम का दर्द है ||


तुमने कहा मन कपट वास है |

मैंने कहा मन तेरा दास है ||


तुमने कहा अब तो खुश कर दे |

मैंने कहा खुलकर तो रो लूं ||


- अतुल कुमार वर्मा [27-07-11]
Tumne Kaha, Aur Maine Saha | Hindi Poem Tumne Kaha, Aur Maine Saha | Hindi Poem Reviewed by Atul Kumar Verma on अगस्त 03, 2011 Rating: 5

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