अपना एहसान अपने तले रखना,
अपना साया भी मुझसे परे रखना।
नफरत में पली हो, कभी प्यार में ढलना।
ऐ दिल,
रोना ना अभी पर आंसू ये दिल में भरे रखना।
नहीं समझा एक तो क्या, दूसरे की राह तकना।
दी है उसने चोट, तो घाव तू भी हरे रखना।
धूप छाँव का खेल समझकर, मैदान में बस तू बने रहना।
ख्वाईशो की ज़िंदगी में, तू भी तरसते रहना।
पर हाँ,
लंगोटिया यारों से अपनी जेबें जरूर भरे रखना।
जिनके दरवाजें कभी खुले नहीं, उनको क्या दस्तक देना।
जिनके लब कभी खिले नहीं, उनमें क्या गुदगुदी भरना।
जो एक लब्ज़ में बयां हो जाये, उसके लिए क्या अंतरे लिखना।
वो क्या चमकेगा, जो चाहे अंधियारे रखना।
हर धड़कन में एक सवाल है, क्या ज़रूरी है हर उत्तर मिलना।
ऐ यारों,
मैं जब प्यार करूँ या पल पल मरुँ, तो बाँहों में अपनी भरे रखना।
पर उससे कह देना,
अपना एहसान अपने तले रखना,
अपना साया भी मुझसे परे रखना।
- अतुल कुमार वर्मा
Not a fan of reading, listen to me recite this poem on Youtube.
Apna Ehsaan Apne Tale Rakhna | Hindi Poem
Reviewed by Atul Kumar Verma
on
अप्रैल 04, 2020
Rating:
wow, amazing words.
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